भारत में बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनों का महत्वपूर्ण स्थान है, और पोक्सो (POCSO) अधिनियम 2012 इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पोक्सो अधिनियम बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और अन्य सांसदीय अपराधों को रोकने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बनाया गया है। यह अधिनियम सुनिश्चित करता है कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की देखभाल कमजोर और अपराधिक पीड़ितों के हित में होती है।
पोक्सो एक्ट भारतीय संविधान की अग्रिम धारा 15(3) के तहत बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण की सुनिश्चित करना है और उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों के विरुद्ध यातायात करने का प्रण है।
पोक्सो एक्ट 2012 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। यह धार्मिक और सामाजिक संस्कृति में विकृतियों और अधिकारियों के द्वारा बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों के बढ़ते मामलों को देखते हुए बनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों की हिफाजत करना और उनके साथ किसी भी तरह के दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से उन्हें बचाना है।
यादी का निर्माण: अधिनियम ने एक विशेष रूप से पूर्ण की गई यादी पर बाध्य किया गया है। यह यादी उन्हें व्यक्ति, संगठन या संस्था का पता पता करने में मदद करती है जिनके पास यौन अपराधितों के खिलाफ आपातकालीन कार्रवाई करने की योग्यता है।
शीघ्र विचारण: पोक्सो अधिनियम के तहत अपराध की जांच और न्यायिक प्रक्रिया में दिलवाल सीमा के लाभ के साथ अच्छी तरह से प्रक्रिया व्यवस्थित करने का प्रावधान है।
एक्शन लेने की तरीके: जिस भी व्यक्ति या संस्था को बच्चों के खिलाफ अपराध के प्रामाण का पता चलता है, उसे विशेष रूप से रिपोर्ट करने का नियमित व्यवस्था बनाई गई है।
योग्यता सीमा कम होना: पोक्सो अधिनियम भारत में केवल 18 वर्ष की आयु के नीचे बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए लागू होता है।
पोक्सो एक्ट एक महत्वपूर्ण कदम है बच्चों की सुरक्षा और कल्याण में। यह न केवल यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करता है, बल्कि बच्चों के अधिकारों की समर्पितता को भी प्रोत्साहित करता है। इसका पालन करना सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है ताकि हम समाज में एक सुरक्षित और स्वस्थ माहौल बना सकें।
उत्तर: पोक्सो अधिनियम 2012 भारत में बच्चों की हिफाजत के लिए बनाया गया कानून है जो बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और अन्य सांसदीय अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करता है।
उत्तर: पोक्सो अधिनियम केवल 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए लागू होता है।
उत्तर: उसे विशेष रूप से अधिनियम के प्रावधानों के तहत रिपोर्ट करना चाहिए ताकि कार्रवाई की जा सके।
उत्तर: पोक्सो अधिनियम बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के खिलाफ है, जबकि धारा 377 भारतीय नागरिकों के यौन संबंधों पर लगाया जाने वाला कानून है।
उत्तर: हां, धारा 377 के उल्लंघन की स्थिति में यदि यौन संबंध में बच्चों के साथ अपराध किया जाता है तो वह पोक्सो अधिनियम के तहत भी उपरांत कार्रवाई के लिए समय रहता है।
इन सवालों के जवाब जानकार, आप पोक्सो अधिनियम के महत्व को समझ सकते हैं और इसके तहत बच्चों की सुरक्षा में उत्तरदायित्व बढ़ा सकते हैं।
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